Thursday, October 14, 2010

नादान नेता

यह कितना बड़ा आश्चर्य हैकि जो आदमी जिस  देश से अन्न, हवा ,पानी पाता उसी देश का विरोध कर रहा है यह कार्य और कही नहीं कश्मीर में हो रहा है। यह कार्य वहां कि विद्रोही जनता कर रही हो तो एक बात है लेकिन जब समय समय अपने स्वार्थ के लिए जब वहां के सत्ता रूढ़ नेता अपने स्वार्थ से वशीभूत होकर अपने स्वार्थ के लिए उलुल जुलूल बातों को बोलने लगते, स्वार्थ पूर्ण बयान देने लगते हैं तो आश्चर्य होता है इसके साथ कभी दिखाते हैं कि देखो मै नई दिल्ली के कितना नजदीक हूँ इससे भी नादान वो नेता लगते है जो दिल्ली में बैठें हैं जो समय समय पर उनकी बातों को समझ नहीं पाते बल्कि उनकी बातों में फंसकर उनका समर्थन कर बैठते हैं उनके नेता गिरी पर आसूं बहाने का मन होता है।