आशीष बचन
भिक्षाटन कर उदर पोषण करने वाली दो बृद्ध औरते एक कालोनी में घुस कर दो बिपरीत दिशाओं में चल दी | एक औरत ईश्वर के नाम पर भीक्षा मांगती थी तथा तमाम आशीष बचन देती थी | भगवान् आप का भला करें,दूध नहाओ, पूतों फलो आदि-आदि | यह सुनकर एक आध घर से भिक्षा मील जाती थी | जबकि दूसरी औरत जब भी किसी के घर जाती तों बीना कुछ आशीष बचन बोले तेज आवाज से बोलती थी कि बाबु बुढ़िया आपके दरवाजे पर खड़ी है कुछ भिक्षा दे दो और तब तक बोलती रहती जब तक कुछ मिल नही जाता था | उसकी आवाज सुनकर घर में उपस्थित ब्यक्ति उसके लिए जल्दी से कुछ न कुछ लाकर दे देते थे | वे जानते थे की ये बिना कुछ लिये यंहा से हिलने वाली नही है | इस तरह बुढ़िया जब भिक्षा पा जाती तो आशीष बचन बोलकर दूसरे घर चली जाती इस तरह मांगते मांगते दोनों भीखारिने जब कालोनी के दूसरे सड़क पर मिली तो आपस में बाते करने लगी की आज तुझे कितना मिला,तो पहली वाली बोली हमे रोज की तरह यही चार पांच रुपये और सेर भर आटा मिला है ,और तुझे ?हमे चालीस से पचास रूपये और आठ से दस सेर आटा.यह सुनकर पहली वाली ने पूछा तू कैसे मांगती है ,दूसरी ने उत्तर दिया ,मैं तो जिस किसी के घर जाती हूँ बिना कुछ आशीष बचन दिये मांगना शुरु कर देती हू और तब तक बोलती रहती हू जब तक की घर से भिक्षा मिल नही जाता है | इससे कालोनी वाले मेरी आवाज पहचान गए है और जान गए है कि इसे जब तक कुछ मिल नही जाएगा तब तक यह हटेगी नही, इस लिए वे मेरे पहुचते ही कुछ न कुछ देकर छूट्टी पा लेते है और मैं कुछ आशीष बचन दे कर | यह सुनकर पहली वाली बुढ़िया सोचने लगी की मुझे भी कुछ ज्यादा पाने के लिया आपना तरीका बदलना पड़ेगा| इस संसार मे आदमी आशीष बचन सुनकर उतना कुछ नही देता जितना डर से भय से तथा अपने स्वार्थ पूर्ति के कारण देता है |
2 comments:
Hi Govind ji app ki kahaniya mudhe bahut achhi lagi kyo ki app ki kahaniyo me sachchai jhalakati hai.
apki kahania bahut hi achchi hain. aur yeh bhartiya samaj ki sachchai ko bayan kar rahi hain.
yadi aapke paas aur bhi kahaniya ho to bhartiya samaj par likhkhe.
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