Friday, November 28, 2008
मंघरांत विचार
सुरेश भट्ट की गिनती बुद्धिजीवी लोगो में होती थी। जब भी कोई घटना या विशेष अवसर पंदाता था तो उनका सलाह अवस्य लिया जाता था। एक बार आतंकवादियों ने देश के एक बड़े शहर पर आतंकी धावा बोल दिया तो देश के बुद्धिजीवी अपने अपने सलाह टीवी पर देने लगे कोई कहता ये आतंकवादी भटके हुए नौजवान है , तो कोई कहता हमें यह विचार करना होगा की ये नौजवान क्यों भटक गए है इस पर हमें विचार करना होगा , इस तरह के तमाम विचार बुद्धिजीवी लोग दे रहे थे इन बातो को सुनते - खीझ चुके एक विचारक ने अपनी बात रखते हुए कहा कीचलिए में आप सभी की बातो का समरथन करता हूँ और एक विचार आप सभी के सामने रखता हूँ क्यों नही हम सभी लोग इस न्यूज़ रूम से निकल कर चले आतंकवादियों से बात करे और वो जितने लोगों को बंधक बनाये है उन लोगों को हम लोग मुक्त करवावे इतना सुनते ही सारे विचारक बगले झाकने लगे और कहने लगे की खन्ना साहब आप तो ऐसी बात कर रहे है जैसे किसी पागल हठी के सामने पर जाओ और उसको पुचकार कर मनायाजाये तभी खन्ना साहब ने अपने मन में भुनभुनाया की ये सारे विचारक कमरे मई बैठकर खूब अच्छे अच्छे विचार दे सकते हैं लेकिन जब समस्या का सामना करना हो तो पीछे हट जाते है , शायद किसी ने ठीक ही कहा है की भगवान ने जहाज बनया समुद्र पर करने के लिए, पुल बनाया नदी पर करने के लिए ,दीपक बनाया रौशनी के लिए लेकिन कोए ऐसी चीज नही बनी जिससे दुस्तो का दिल जीता जा सके।
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