Sunday, August 11, 2019

जीत

        जीवन में हार जीत लगा रहता है और यह आदमी के धर्म-कर्म के साथ चलता रहता है कोई भी व्यक्ति यदि किसी हार से सीख ले कर पुनः अपनी सकारात्मक ऊर्जा के साथ सकारात्मक कार्य के लिए लड़ने के लिए तैयार हो तो शायद ईश्वर भी उसके अच्छे काम में सहयोग के लिए खड़ा हो
जातें है ।
विचार शाश्वत चलने वाली एक प्रक्रिया है दो विभिन्न विचारों से युक्त एक देश की दो पार्टियां चुनाव मैदान में थी दोनों को लगता था कि उनके अपने-अपने विचार उत्तम हैं दोनों पार्टियां प्रदेश की विधानसभा चुनाव में आमने-सामने थी इन प्रदेशों के शासक दल अपने किए गए कार्यों के बदौलत सत्ता में वापसी की आशा में थे तो दूसरी तरफ विपक्षी पार्टी साम ,दाम ,दंड, भेद से किसी भी प्रकार, किसी भी नीति से सत्ता में आना चाहती थी । उसने अपने घोषणा पत्र में तमाम ऐसी लोकलुभावन घोषणाओं को शामिल किया  कि आम जनता उसके प्रभाव में आए बिना नहीं रह सकी जबकि शासक दल अभी भी अपने अच्छे काम के बदौलत सत्ता में बने रहने की आशा पाले हुए था। निर्धारित तिथि को मतदान व मतगणना के पश्चात परिणाम सबके सामने था। अच्छे किए गए कार्यों पर भी सत्ताधारी  दल सत्ता से बेदखल हो चुकी थी तथा जनता को विभिन्न लोकलुभावन घोषणाओं से लुभाने वाली विपक्षी पार्टी सत्ता का स्वाद चखने के लिए विजय पताका लहरा रही थी । सत्ताधारी  दल के लिए यह एक सबक था मनन करने का समय था । मनन के दौरान कुछ विचारको ने अपने-अपने विचार रखे की यह पूरी दुनिया एक व्यापारिक क्षेत्र है यहां पर उसी व्यापारी का व्यापार सफल है जो अच्छा सामान अच्छे रेट पर बेचने के साथ-साथ समय-समय पर कुछ न कुछ गिफ्ट कुछ ना कुछ छूट का प्रावधान करके तथा इस तरह की योजनाएं समय-समय पर चलाता रहता है। यह एक विचार था तो उसी समूह के कुछ दूसरे विचारको का विचार थोड़े बदले रूप में था दूसरा विचार था कि अगर अच्छे कर्म करते हुए भी यदि इच्छित वस्तु प्राप्त नहीं होती है तो समझिए कि ईश्वर ने आपके लिए कुछ और  अच्छा बना रखा है बशर्ते कि आप अपनी योजना परिस्थितियों और विरोधियों के चाल को ध्यान में रखकर बनाएं और शुद्ध मन से कर्म पथ पर आगे बढ़ते रहें तो जीत आपकी अवश्य होगी इस प्रकार तमाम योजनाओं और कर्म पथ पर विचार करते हुए सभा विसर्जित कर दी गई और भावी योजनाओं व चालों के बारे में शीर्ष पर बैठे हुए पार्टी के श्रेष्ठ नेतृत्व को बता दिया गया।
        श्रेष्ठ नेतृत्व को  आगे का निर्णय लेने के लिए अधिकृत कर दिया गया पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर बैठे लोगों ने भी देश के केंद्रीय सत्ता में होने वाले भावी चुनाव के लिए पिछले चुनावों से सबक लेते हुए सत्ता को ध्यान में रखकर योजनाओं को मूर्त रूप देना शुरू किया अच्छे कार्य के साथ-साथ समाज में पीछे छूट गए वंचितों के लिए भेदभाव रहित योजना तो पहले से ही कार्यशील थी इसके अलावा गरीब किसानों के लिए अनुदान योजना इस तरह की अनेकानेक न्याय  योजना और लोकलुभावन योजनाओं की शुरुआत की गई इन योजनाओं की घोषणा जिस तत्परता से की गई इनको जमीन पर उतनी तत्परता से उतारा गया अर्थात लाभार्थियों को बहुत ही तेजी से लाभ मिलने लगा। अब क्या था सरकार के पक्ष में उच्च एवं मध्यम वर्ग तो पहले से ही खड़ा था उनको विश्वास था कि हमें अपने बिजनेस में नौकरी में घाटा नफा या नुकसान जो भी हो शायद यह सरकार के नीतियों के कारण हो लेकिन सरकार के जो भी निर्णय हैं वह सभी देश हित में हैं। सरकार के पक्ष में गरीब वर्गों का एक अच्छा खासा समूह पहले से ही था जो सरकार के नेक नियत और उसके द्वारा की जा रही गांव - देहात व तमाम मलिन बस्तियों में हो रहे विकास कार्यों के प्रभाव में था अब इन तत्कालिक अनुदान एवं कल्याणकारी योजनाओं ने इन तमाम गरीब वर्गों पर ऐसा प्रभाव डाला कि वे अपनी सभी जाति , धर्म, छूत - अछूत की दीवार को लाकर सरकार के पक्ष में खड़े हो गए। उधर विपक्षी दल भी मिल जुलकर तमाम लोकलुभावन योजनाओं व तमाम अनुदान योजनाओं की घोषणा करते जा रहे थे तथा सरकार में आने पर उनको लागू करने का आश्वासन दे रहे थे । अपने भाषणों में तथा तमाम प्रचार माध्यमों के द्वारा जनता के सामने यह अपनी योजनाओं को रखते थे तथा इसी के साथ सत्ताधारी दल पर तमाम चोरी बेईमानी को घोटाले का इल्जाम भी लगाते रहते थे लेकिन सरकार के मुखिया का व्यक्तित्व जनता के बीच में कुछ ऐसा था कि जनता सब कुछ मान सकती थी लेकिन मुखिया को चोर बेईमान व घोटालेबाज मानने को तैयार न थी । सरकार द्वारा लिए गए कुछ उचित व अनुचित निर्णय के प्रति जनता नाराज थी किंतु सरकार को चोर बेईमान और घोटालेबाज मानने को तैयार न थी और विपक्षी दल जितना भी इल्जाम लगाते थे वह उतना ही उनके लिए नुकसानदायक होता जा रहा था क्योंकि देश की अधिकतर जनता सरकार के मुखिया को चोर बेईमानों घोटालेबाज मानने को तैयार न थी। इसका परिणाम यह होता जा रहा था कि विपक्षी दलों द्वारा घोषित तमाम लोकलुभावन योजनाओं पर जनता ध्यान ही न दे रही थी। उसके दिमाग में यह बात बार-बार हथौड़े से प्रहार किए जाने वाले चोट के समान चोट कर रही थी चोट कि जब एक इमानदार आदमी के बारे में इस तरह की बातें प्रचारित की जा रही है तो सत्ता में आने पर अपनी लोकलुभावन घोषणाओं को लागू करेंगे अथवा नहीं इसमें भी संदेह है । इसके अलावा विपक्षी दलों का पिछला कार्यकाल भी उनके कार्य पद्धति का सबूत दे रहा था । इस कारण से जनता उनकी घोषणाओं पर आसानी से विश्वास नहीं कर रही थी और उसको संदेह और अविश्वास की नजरों से देख रही थी। इस तरह प्रचार के बीच में आखिर वह दिन भी आया जिस दिन अंतिम मतदान होना था। इस तरह मतदान समाप्त होने के पश्चात तमाम टीवी चैनलों ने अपने चैनल पर चुनाव परिणामों को लेकर डिबेट शुरू किया जिसमें सरकार के पक्ष में स्पष्ट बहुमत बताया जा रहा था किंतु विपक्षी पार्टियां व सरकार विरोधी समूह इन बातों का मजाक उड़ाते रहे । यह बात कुछ ऐसी थी जैसे शुतुरमुर्ग अपने ऊपर खतरा  देख कर अपना मुंह बालू में छुपा लेता है और सोचता है कि खतरा टल गया । निश्चित समय पर चुनाव परिणाम आया  जनता ने लोकतंत्र में अपना विश्वास जता दिया था विपक्ष चारों खाने चित हो गया था । देश की जनता का मतदान विकास के लिए था विकास जीत गया था । उन लोगों ने पुनः शासन संभाला जो देश के विकास के लिए सदैव तत्पर थे। विकास पुनः अपने रास्ते पर आगे बढ़ने लगा देश के विकास में दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति होने लगी।

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